जब प्रेम का सागर
अवसाद के उफान पर हो
डसती है प्रीत की वेदनाएँ
तब भी हृदय में प्रर्थनाएँ गूँजती है
प्रेमी के मंगल कामना की
साँसे छेड़ती हैं कोई धुन विरह की
अंतस गाता है अनुराग गीत
भावनाओं की विरहिणीयां थिरकती हैं
उदास गीतों पर
प्रेम… शोक! संतप्त होकर भी मंगलचारण करता है.!!